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#Kabz #Constipation #ConstipationRelief #fblifestyle कब्ज़ यानी मलावरोध आजकल हर उम्र के लोगों में आम समस्या बन चुकी है। तेज़ रफ़्तार वाली जीवनशैली, अनियमित खानपान और तनाव ने हमारे पाचन तंत्र को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है। आयुर्वेद के अनुसार, कब्ज़ सिर्फ पेट की नहीं बल्कि पूरे शरीर के स्वास्थ्य का संकेत है। यदि समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह बवासीर, गैस, सिरदर्द, त्वचा रोग और मानसिक तनाव जैसी कई समस्याओं को जन्म दे सकती है।🌿 आयुर्वेद में कब्ज़ का वर्णन
आयुर्वेद में कब्ज़ को “वात दोष” की वृद्धि का परिणाम माना गया है। चरक संहिता में इसे “विबन्ध” कहा गया है, जो तब होता है जब मल सूखकर आंतों में अटक जाता है। वात दोष बढ़ने के कारण आंतों की गतिशीलता कम हो जाती है और मल बाहर निकालना कठिन हो जाता है।
🛑 कब्ज़ होने के प्रमुख कारण
गलत खानपान — रिफ़ाइंड आटा, तैलीय, मसालेदार और जंक फूड का अधिक सेवन।
फाइबर की कमी — फल, सब्ज़ी, साबुत अनाज का कम उपयोग।
पानी की कमी — दिनभर पर्याप्त पानी न पीना।
शारीरिक गतिविधि की कमी — लंबी देर तक बैठना और व्यायाम न करना।
मानसिक तनाव — चिंता और तनाव से पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है।
दवाइयों का असर — कुछ एलोपैथिक दवाएं (जैसे आयरन सप्लीमेंट, एंटासिड) भी कब्ज़ पैदा करती हैं।
⚠️ कब्ज़ के लक्षण
मल त्याग में कठिनाई
पेट भारी और फूला हुआ महसूस होना
सिरदर्द और चिड़चिड़ापन
मुंह का स्वाद बिगड़ना
भूख न लगना
🌿 कब्ज़ से बचने के आयुर्वेदिक उपाय
1. त्रिफला चूर्ण
रात को सोने से पहले 1-2 चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी या दूध के साथ लें। यह आंतों की सफ़ाई करता है और पाचन सुधारता है।
2. अंजीर और मुनक्का
3-4 सूखे अंजीर और 5-7 मुनक्के रात को पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट इन्हें खाएं और पानी पी लें। यह फाइबर और नैचुरल लैक्सेटिव का बेहतरीन स्रोत है।
3. गुनगुना पानी
सुबह उठकर खाली पेट 2 गिलास गुनगुना पानी पीने से आंतें सक्रिय हो जाती हैं।
4. इसबगोल की भूसी
रात को 1-2 चम्मच इसबगोल की भूसी गुनगुने दूध या पानी के साथ लें। यह मल को नरम करता है।
5. तिल और गुड़
तिल और गुड़ का लड्डू कब्ज़ में राहत देता है और पाचन को मज़बूत करता है।
6. नींबू पानी
गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर सुबह पीने से आंतों की गतिशीलता बढ़ती है।
7. अदरक और अजवाइन का काढ़ा
अदरक, अजवाइन और थोड़ी सौंफ डालकर पानी उबालें। खाने के बाद इसका सेवन करें, यह गैस और कब्ज़ दोनों में लाभकारी है।
🏃♂️ जीवनशैली में बदलाव
रोज़ सुबह योग और प्राणायाम करें, विशेषकर पवनमुक्तासन, भुजंगासन और वज्रासन।
भोजन में हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, मौसमी फल और साबुत अनाज ज़रूर शामिल करें।
दिनभर में 8–10 गिलास पानी पिएं।
समय पर भोजन करें और देर रात का खाना अवॉयड करें।
🔮 आयुर्वेदिक मंत्र
"भोजन हो हल्का, पानी हो गुनगुना,
आंतें रहें खुश, जीवन हो सुगना।"
🌟 निष्कर्ष
कब्ज़ को हल्के में लेना सही नहीं है। यह शरीर की सफाई प्रणाली में रुकावट का संकेत है। आयुर्वेद कहता है — “पाचन ही स्वास्थ्य की जड़ है”। यदि पाचन स्वस्थ है तो शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहेंगे। इसलिए, नियमित दिनचर्या, संतुलित आहार और आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाकर कब्ज़ से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है।
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