माजूफल

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माजूफल (Majuphal), जिसे ओक गॉल्स (Oak Galls) या मायाफल भी कहा जाता है, Quercus infectoria नामक पेड़ पर कीड़ों द्वारा बनाई गई गॉल्स से प्राप्त होता है। यह आयुर्वेद में एक शक्तिशाली औषधि मानी जाती है, जिसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और कसैले (Astringent) गुण पाए जाते हैं। यह पाचन, त्वचा, दांत, गला, महिला स्वास्थ्य, रक्तस्राव और अन्य कई रोगों में फायदेमंद है।
माजूफल के औषधीय उपयोग (Medicinal Uses)
माजूफल के गुणों के कारण यह विभिन्न रोगों में लाभदायक है। नीचे विस्तृत जानकारी दी गई है:
�पाचन तंत्र के लिए लाभकारी:
माजूफल का कसैला गुण दस्त, पेचिश और आंतों की समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह पेट को मजबूत बनाता है और पुराने दस्त में इसका काढ़ा विशेष रूप से उपयोगी होता है। उदाहरण के लिए, माजूफल पाउडर (1से 2 ग्राम) को दालचीनी (समान मात्रा) के साथ मिलाकर लेने से मल की चिपचिपाहट और बार-बार शौच की समस्या कम होती है।
�मुंह के छाले और दांतों के लिए उपयोगी:
माजूफल का चूर्ण या काढ़ा मुंह के छाले, मसूड़ों की सूजन, दांतों से खून बहने और पायरिया जैसी समस्याओं में प्रभावी है। इसका पाउडर मंजन के रूप में उपयोग करने से मुंह की दुर्गंध और छाले ठीक होते हैं। माजूफल को सुपारी या फिटकरी के साथ मिलाकर मंजन बनाने से दांतों का दर्द, मुंह के छाले और रक्तस्राव कम होता है।
�त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत:
माजूफल का लेप त्वचा के घावों, मुंहासों, खुजली, दाद और झाइयों को ठीक करने में मदद करता है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुण त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाते हैं। माजूफल को सिरके के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से झाइयां और निशान कम होते हैं।
� ओवेरियन सिस्ट में फायदे मंद:
जिन महिलाओं को पीसीओडी की समस्या हो जाती है,बच्चेदानी में गांठे हो जाती है।उनके लिए माजूफल बहुत ही फायदेमंद होता है।
माजूफल 100 ग्राम
जैतून का सुख फल 50 ग्राम
गुलाबी फिटकरी 20 ग्राम
सबको कूट पीसकर पाउडर बनाकर रख ले।
2 से 3 ग्राम सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर सेवन करें। इस नुस्खा से महिलाओं में होने वाली ओवेरियन सिस्ट यानी की बच्चेदानी की गांठ गल कर खत्म हो जाती हैं।
�यह शरीर में अंदरूनी, बाहरी कहीं भी गांठे हो उसे desolve करने में मददगार है।
� ल्यूकोरिया में फायदेमंद :
माजूफल 40 ग्राम
लोधरा छाल 40 ग्राम
चुनिया गोंद 40 ग्राम
मोचरस 40 ग्राम
नागकेसर 40 ग्राम
सूखा सिंघाड़ा 40 ग्राम
धागे वाली मिश्री 80 ग्राम
सभी को कूट पीसकर पाउडर बनाकर रख लें। एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम खाना खाने के पश्चात सेवन करने से महिलाओं में आने वाला सफेद पानी यानी कि लिकोरिया का मर्ज नष्ट हो जाता है।
�गले की समस्याओं में फायदेमंद:
माजूफल के काढ़े से गरारे करने से गले की खराश, टॉन्सिलाइटिस और सूजन में राहत मिलती है। यह खांसी और टॉन्सिल से उत्पन्न समस्याओं को भी कम करता है।
�बवासीर (पाइल्स) में उपयोगी:
माजूफल का काढ़ा या लेप बवासीर की जलन, सूजन और दर्द को कम करता है। इसे पानी में उबालकर मलद्वार को धोने से राहत मिलती है। माजूफल को अफीम के साथ मिलाकर लेप बनाने से तीव्र दर्द में भी आराम मिलता है।
�महिलाओं के लिए विशेष लाभ:
�योनि स्वास्थ्य: माजूफल का काढ़ा योनि के संक्रमण, खुजली और ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) को ठीक करने में प्रभावी है। यह योनि की मांसपेशियों को कसने में भी मदद करता है, विशेष रूप से प्रसव के बाद। मलेशिया में इसे "मंजाकनी" के नाम से जाना जाता है और योनि की कसावट के लिए उपयोग किया जाता है।
�योनि शिथिलता के लिए (With Kapoor and Madhu): माजूफल और कपूर को समान भाग में मिलाकर मधु (शहद) के साथ पेस्ट बनाएं और योनि में लेप करें। (मात्रा: 1-2 ग्राम प्रत्येक; डॉक्टर की सलाह से उपयोग।)
�कैंसर से बचाव:
माजूफल में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण ऑक्सीडेटिव तनाव और फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं, जो सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, यह कैंसर का पूर्ण इलाज नहीं है, और इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए।
�मधुमेह नियंत्रण:
माजूफल रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे यह मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके बीज को भूनकर चूर्ण बनाकर या काढ़े के रूप में सेवन करने से शुगर नियंत्रित रहती है।
�घाव भरने में सहायक:
माजूफल की भस्म या चूर्ण घावों को जल्दी भरने में मदद करता है। यह सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ कर रक्तस्राव को रोकता है। इसके पत्तों का एथेनॉल अर्क भी घाव भरने में प्रभावी है।
माजूफल पाउडर को हल्दी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं और घाव पर लगाएं। पुराने घाव जल्दी भरते हैं। (मात्रा: 1 चम्मच माजूफल + 1/2 चम्मच हल्दी; पानी में मिलाकर दिन में 2 बार लगाएं।)
�जीर्ण ज्वर और कमजोरी:
माजूफल का उपयोग जीर्ण ज्वर (क्रॉनिक बुखार) और मलेरिया में किया जाता है। यह शरीर की शिथिलता को कम करके ज्वरनाशक औषधियों के प्रभाव को बढ़ाता है।
जीर्ण ज्वर के लिए (With Milk): माजूफल को रात भर पानी में भिगोएं, सुबह दूध में उबालकर पिएं।(मात्रा: 2 छोटे माजूफल + 3 तोला दूध; 14 दिन तक)
�अन्य लाभ:
�यूटीआई (मूत्र मार्ग संक्रमण):
माजूफल और फिटकरी का मिश्रण मूत्र मार्ग के संक्रमण और खुजली को कम करने में मदद करता है।
� बालों के लिए:
माजूफल डैंड्रफ और बालों के झड़ने को कम करने में सहायक है।
�प्रसव के बाद रिकवरी:
यह महिलाओं के शरीर को मजबूत बनाता है और ढीलापन कम करता है।
�माजूफल के उपयोग के तरीके
�चूर्ण: 1-2 ग्राम माजूफल पाउडर को पानी या शहद के साथ दिन में 1-2 बार लिया जा सकता है।
�काढ़ा: 10-20 मिली माजूफल का काढ़ा बनाकर पीने या गरारे करने के लिए उपयोग करें।
�लेप: माजूफल को पीसकर हल्दी, सिरका या पानी के साथ मिलाकर त्वचा या घावों पर लगाएं।
�मंजन: माजूफल के चूर्ण को फिटकरी या सुपारी के साथ मिलाकर दांतों की सफाई के लिए उपयोग करें।
�योनि धावन: माजूफल को पानी में उबालकर ठंडा करें और योनि की सफाई के लिए उपयोग करें।
�सावधानियां और नुकसान
�गर्भावस्था में सावधानी: माजूफल का उपयोग गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा हो सकता है।
�अधिक मात्रा से बचें: अधिक मात्रा में सेवन से पाचन तंत्र पर दुष्प्रभाव हो सकता है, जैसे कब्ज या पेट में जलन। �एलर्जी: यदि उपयोग के बाद त्वचा पर लालिमा या जलन हो, तो इसका उपयोग बंद करें।
�निष्कर्ष:-
माजूफल एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है, जो त्वचा, दांत, गले, पाचन, मधुमेह और महिला स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं में प्रभावी है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुण इसे बहुमुखी बनाते हैं। हालांकि, इसका उपयोग सही मात्रा और चिकित्सक की सलाह के साथ करना चाहिए, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए।
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