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* *सच्चे वाल्मीकिन**सच्चे वाल्मीकिन वो थे यो पावन वाल्मीकि आश्रम में प्रवेश करते ही अपने निज स्वार्थ त्याग कर आपसी वैर-विरोध त्याग कर पावन वाल्मीकि आश्रम की मर्यादा भंग नहीँ करते थे बड़े आश्चर्य की बात है ना शेर, बकरी,गाये, चीता, नाग, नागणी,लूमड़ी,भालू ये सब जानवर हो कर भी आश्रम में अपनी चलाकियां आपसी वैर विरोध निज स्वार्थ त्याग देते थे परन्तु बहुत दुख होता है की आज के संसारी लोग इंसान हो कर भी पावन वाल्मीकि आश्रम और भगवान वाल्मीकि जी की मर्यादा को शायद भूल रहे हैँ और आज अपने-अपने स्वार्थ और अपने-अपने अहम् की लड़ाई लड़ रहे हैँ पता नहीँ क्या साबित करने में लगे हुए हैँ सोचते ही नहीँ की हमारे ये सब करने से समाज में आपसी फुट पड़ सकती है और जिस संसार में हम प्रचार के माध्यम से भगवान वाल्मीकि जी महिमा और उनका गुण गान विश्व भर में करना चाहते हैँ हमारे इस कृत का क्या सन्देश जायेगा उसी संसार में झंडा गर्व का प्रतीक होता है परन्तु अगर झंडा अपनों में फुट पाकर और अपने समाज को खंड-खंड करके ही चड़ाया और बुराई पा कर चड़ाया तो आने वाली पीड़ियों को क्या जवाब देंगे हम झंडा तो समाज की विजय का प्रतीक होता और धर्म ध्वज का मतलब होता है की हम सब अपने एक ध्वज के नीचे रहेंगे एकता और इकजुटता बना कर और हम सब अपने धर्म ध्वज के नीचे अपने धर्म के साथ जुड़े रहेंगे परन्तु अगर किसी एक संगठन का झंडा हमारे धर्म को ही हानि पहुंचाये हमारे धर्म समाज को ही हानि पहुंचाये तो ऐसे झंडे का कोई फ़ायदा नहीँ धर्म स्थापित होते हैँ कुर्बानियों और बलिदानो पर आज समय आप सबकी परीक्षा ले रहा है देखते हैँ कौन-कौन अपने धर्म समाज के हित में अपना कदम पीछे लेता है और हाँ अगर आप सचमें सच्चे वाल्मीकिन हो तो सर्व समाज, संत समाज, बुद्धि जीविओं, समाज के विद्वानों और समाज के संगठनों को लेकर पावन वाल्मीकि आश्रम की मर्यादा को बनाये रखने के लिए एक विचारगोष्टी करो और एक धर्म ध्वज में अपनी अपनी सहमस्ती जताओ इसी में समझदारी भी है और मर्यादा भी है परमात्मा आप सभी को सद्बुद्धि प्रदान करे जय वाल्मीकि जी
संत रामदास जी महाराज निगदू करनाल वाले
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Miller Ganj, G.T. Road,Ludhiana, Punjab, India