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रायपुर के पवित्र खारुन नदी के तट पर स्थित श्री महाकाल धाम अमलेश्वर छत्तीसगढ़ का एक मात्र ऐसा तीर्थ है, जहां पिछले दो दशक से प्रतिदिन पूजा-अनुष्ठान हो रहे हैं। ये शिव शक्ति की आराधना का सिद्ध पीठ है। इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी को हो रहा है। इस पुण्य मुहूर्त पर भक्त शिव शक्ति के इस केंद्र में आस्था के साथ रुद्राभिषेक और काल सर्प दोष की पूजा के साथ अन्य अनुष्ठान करा सकते हैं। श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के सर्वराकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि श्री महाकालधाम अमलेश्वर में महाशिरात्रि में विशेष पूजा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। श्री महाकाल धाम अमलेश्वर छत्तीसगढ़ का एक मात्र ऐसा तीर्थ है, जहां पिछले 20 वर्षों से फलाश विधि के द्वारा नारायण नागबली, कालसर्प की पूजा, विवाह में आने वाली बाधाओं के निवारण के लिए कुंवारे युवाओं ने अर्क विवाह और कन्याओं ने कुंभ विवाह और विशेष अनुष्ठान पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी द्वारा कराए जा रहे हैं। खारुन तट पर अमलेश्वर गांव में स्थित श्रीमहाकाल धाम आज नारायण नागबली, काल सर्पदोष, पितृतर्पण, अर्पण और तमाम तरह के हिंदू कर्मकांडों और अध्यात्म का नया केंद्र बन गया है। जहां हर रोज सैकड़ों लोग पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान के लिए यहां पहुंच रहे हैं। सिद्ध और स्वयंभू शिवलिंग
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सीमा से सटे दुर्ग जिले के पाटन का अमलेश्वर और खारुन तट शिव का नया धाम है। अमलेश्वर को धीरे-धीरे शिव के नए धाम और देवनगरी के रुप में पहचान मिल रही है। एक हजार साल पुराना हटकेश्वर महादेव का मंदिर, खारुनेश्वर महादेव की भव्य मूर्ति, मां पीताम्बरा बगलामुखी मंदिर, जूना अखाड़ा का मंदिर तो भक्तों की आस्था का केंद्र है ही। कैलाश धाम मंदिर का निर्माण हो रहा है। हटकेश्वर महादेव खारुन के एक किनारे पर है, तो दुसरी छोर पर श्री महाकाल धाम अमलेश्वर शिवभक्तों की श्रद्धा का नया अध्याय लिख रहा है। श्री महाकाल धाम अमलेश्वर भारत के छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में पाटन तहसील के अमलेश्वर नगर पालिका में एक प्राचीन सनातन मंदिर है। ये मंदिर रायपुर शहर से 18 किलोमीटर और दुर्ग से 40 किलोमीटर दूर ये मंदिर हिंदू भगवान शिव को समर्पित है और यह उन 12 दिव्य ज्योतिर्लिंगों के जैसा ही सिद्ध और पवित्र है। अमलेश्वर गांव का ये विग्रह नदी के तट पर होने से और आगे अमलेश्वर गांव के आगे विस्थापित होने से और लगातार बाढ़ आदि से भूमिशायी हो गए। फिर 2004 में दाउ अशोक अग्रवाल जो कि छत्तीसगढ़ के दानवीर दाऊ कल्याण सिंह के अग्रज हुए, उन्हें स्वप्न में आदेश दिया और उनके मार्गदर्शन में अमलेश्वर के एक खेत से उनका प्राकट्य हुआ। इस तरह श्री महाकाल अमलेश्वर महादेव की पूजा श्रावण बदी प्रतिपदा दिन शनिवार संवत 2061 मे हुआ। तभी से चमत्कारी भगवान महाकाल की पूजा शुरू होगई शुरूआत में भगवान टेंट में पधारे बाद में यहां भव्य श्रीमहाकाल धाम का निर्माण कराया गया। श्रीमहाकाल धाम आज नारायण नागबली, काल सर्पदोष, पितृतर्पण, अर्पण और तमाम तरह के हिंदू कर्मकांडों और अध्यात्म का नया केंद्र बन गया है। जहां हर रोज सैकड़ों लोग ए-पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान के लिए यहां पहुंच रहे हैं।
यहां होते हैं सभी पूजा-अनुष्ठान
किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद उस व्यक्ति का विधिवत रूप से अंतिम संस्कार, श्राद्ध एवं तर्पण न किया जाए तो उसकी आत्मा पृथ्वीलोक पर भटकती है। उनकी पीढी को पितृ दोष लगता है। ऐसे परिवार में जन्मे वंशजों को पुरे जीवन में अनेक कष्ट उठाने पड़ते हैं, तथा यह दोष एक पीढी से अगली पीढी तक कष्ट पहुंचाती है। पितृ दोष का निवारण नारायण बलि पूजा से होता है तथा नागबली पूजा से सर्प या नाग की हत्या से निर्मित दोष का निवारण होता है। इसकी भी विशेष पूजा कराई जाएगी। अमलेश्वर स्थित श्री महाकाल धाम में दिव्य पुण्यात्माओं का निशुल्क तर्पण, दान, पिंडदान और श्राद्ध कर्म का विशेष आयोजन भी होता है। श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के सर्वराकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि बहुत से लोगों को पता नहीं होता कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, अर्पण, दान, पिंडदान और श्राद्ध कर्म कैसे करें। इसलिए श्री महाकाल धाम में निशुल्क रुप से सारी व्यवस्था की जाती है। पूजा के दौरान पितरों की आत्मशांति के लिए विशेष पूजा अर्चना और आरती के साथ ही नारायण बली, नाग बली और कालसर्प की विशेष पूजा कराई जाती है।
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Event Venue & Nearby Stays
6J33+F3H, Opp Water World Park, Patan - Raipur Rd, Raipur, Chhattisgarh 491111, 491001, India