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#छठी माई तथा आदित्य देव का वंदन अभिनंदन #सर्वे भवंतु सुखीनः सर्वे संतु निरामया सर्वभद्राणी पश्यन्तम मां कश्यती दुःख भाग्य भवेत । सभी को सुख पहुंचाने वाली यह त्यौहार है ताकि कोई भी व्यक्ति दुखी ना रहे शरीर से भी या कोई इच्छा होती है तो छठी मैया से शुद्ध हृदय से मांग कर व्यक्ति से प्राप्त करते हैं । छठ पूजा महापर्व है यह प्रकृति की पूजा की जाती है यह चार दिनों का त्योहार होता है । यहां पर भगवती छत और आदित्य देव सभी व्यक्ति को समरसता की तरह उसकी मां की कामना को पूरा करते हैं।
#सूरज उपासना का अनुपम प्रतीक आस्था, आत्म संयम, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का । अद्भुत उत्सव है साथ ही बिहार की सांस्कृतिक वैभव की पहचान है ।
#मार्कंडेय पुराण के अनुसार- ब्रह्मा जब सृष्टि का निर्माण कर रहे थे तो प्रकृति का भी निर्माण किया देवी प्रकृति ने स्वयं को छह रूप में विभाजित किया इनके #छठे अंश की पूजा किया जाने के कारण छठ कहा जाता है इसलिए इस पर्व को महापर्व कहा जाता है छठी मैया ब्रह्मा जी के मानस पुत्री हैं लेकिन कुछ ग्रंथ के अनुसार सूरज की बहन और भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पत्नी है । #बहन अधिक तार्किक लगता है।
छठ व्रत की शुरुआत #रामायण काल से ही प्रचलित है जब प्रभु श्री राम सीता और लक्ष्मण वनवास से वापस आए तो भगवान सूर्य का आराधना की इस आराधना का स्थल #मुंगेर को माना जाता है आज भी यहां पर सीता कुंड प्रसिद्ध है भगवती #सीता प्रथम छठ व्रती थी इस प्रकार इस परंपरा की शुरुआत होती है जो वर्तमान तक चलती आ रही है।
हम प्रकृति के संतान हैं प्रकृति के आंगन - प्रांगण में रहकर जीवन जीते हैं और इसी प्रकृति में समा जाते है इसलिए कणाद मुनि के अनुसार क्षत जल पावक गगन समीरा पंचतत्व यह अधम शरीरा । पांच तत्वों से बना शरीर इसी में समा जाता है।
#श्रीमद् भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहे हैं आत्मा के बारे में कहे हैं कि आत्मा कभी भी समाप्त नहीं होता एक शरीर से निकलकर दूसरे शरीर को ग्रहण करता है यह प्रकृति का शाश्वत नियम है इसलिए छठ व्रत में डूबते सूरज का भी नमन किया जाता है जिन्होंने प्रकृति में रहकर प्रकृति को दिया और उगते सूरज का नमन यह बताता है की आत्मा का नवीन शरीर में प्रवेश करके नवीन जीवन लीला की शुरुआत ऊर्जा के साथ प्राप्त करते हैं और यह ऊर्जा प्रकृति से और सूर्य से ही प्राप्त होता है । इसलिए भगवान सूरज #सनातन संस्कृति का एकमात्र ऐसे देवता है जिन्हें हम प्रत्यक्ष रूप से देखते हैं । सूरज के बिना तो अंधेरा छा जाता है तो जीवन में भी अंधेरा को हटाने के लिए प्रातः कालीन सूरज दर्शन होना अनिवार्य कहा गया है। कि भगवान सूरज के उदय से पहले ही जो व्यक्ति उठ कर खड़े होते हैं उनका भाग्य प्रबल हो जाता है । #कर्मयोगी पुरुष के लिए यह अनिवार्य है ।
सूरज को अर्ध तो प्रत्येक देना चाहिए सूरज के रोशनी से हमें #विटामिन डी की प्राप्ति होती है जो मानव शरीर इस पृथ्वी पर खड़ा होता है वह कंकाल तंत्र के बदौलत खड़ा होता है इस मानव का अस्तित्व बनाए रखने में सूरज की रोशनी का विशेष महत्व है इसके बिना ना तो जीवन संभव है ना ही प्रकृति की सेवा संभव है ।
#छठ व्रत चार दिनों की त्यौहार होती है 2025 में इस प्रकार यह व्रत तिथि बार आयोजित होगी -
#प्रथम दिन - नहाय खाय - 25Nov 2025 को आयोजित होगी छठ व्रत आराधना यहीं से शुरुआत होती है। घर में सात्विक भोजन तैयार किया जाता है और अपने परिजनों के साथ भी यह प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है इस दिन सात्विक भोजन कद्दू ,लौकी की सब्जी, चने की दाल, अरवा चावल का भात खाया जाता है नमक के स्थान पर सेंधा नमक प्रयोग किया जाता है लहसुन और प्याज वर्जित होता है ।
#नहाय खाय पूजा स्थल और अपने शरीर को भी पवित्र किया जाता है शरीर और मन की शुद्धि में प्रकृति का समावेशी लक्षण प्रेरक्षित भी होना चाहिए । स्नान और शुद्ध भोजन करने से संपूर्ण छठ व्रत की फल में कई गुना वृद्धि हो जाती क जाती है। पवित्रता, संयम ,अनुशासन को चार दिनों तक संवैधानिक तरीके से अपनाना होता है जैसे प्रसाद बनाते समय बातचीत ना हो क्योंकि बातचीत के दौरान आप अपवित्रता हो सकता है इसमें मुंह से पानी बाहर निकल सकता है ऐसे में प्रसाद अपवित्र होने का खतरा बढ़ सकता है।
#द्वितीय दिन 26 नवंबर 2025 का खरना का त्यौहार है इसमें गुड का खीर बनाया जाता है मिट्टी के चूल्हा ,मिट्टी का बर्तन में यह खीर बनाया जाता है संस्कृत में कहा गया है अमृतम शीशरे बहानि अमृतम क्षीर भोजनम। भोजन गुर का उत्पादन से शरीर ऊर्जावान बना रहता है । मन की सात्विकता में वृद्धि करता है विचार और विवेक को ही शुद्ध करता है ।
#तृतीय दिन- 27 नवंबर 2025- को सायंकालीन भगवान सूरज को अर्ध दिया जाता है ।
#चतुर्थ दिन - 28 नवंबर 2025 - को प्रातः कालीन भगवान आदित्य देव को अर्ध दिया जाता है ।
#नदी ,तालाब ,सड़क ,स्थान सभी की साफ सफाई होती है। गांव से शहर तक छठी पूजा की तैयारी भी चल रही है वहीं छठी माता और भास्कर की स्वागत भी चल रहा है प्रकृति के गीत के साथ-साथ समर्पण का भाव एकता और समरसता की भावना उत्पन्न करने वाली यह त्यौहार पर्यावरणीय मानवीय सैद्धांतिक और व्यावहारिक आचरण का प्रतीक है ।
यह बिहार का गौरव है इसे यूनेस्को ने भी विश्व विरासत संस्कृत सूची में शामिल करने पर विचार कर रहा है विश्वास है कि यह बहुत जल्द ही शामिल भी होगा ।
#भारत में जन्म लेकर हमें बिहारी होने का गर्व है । #बिहार शब्द की अर्थ की गरिमा की यथार्थ और वास्तविकता के धरोहर से जुड़ा हुआ यह महापर्व है जहां भी बिहारी गए वह विदेश की धरती पर ही क्यों नहीं त्योहार वहां भी कर रहे हैं ।
जय छठी मैया, जय आदित्य देव, जय प्रकृति इन सभी को प्राकृतिक नमन के साथ सभी छठी व्रतीयो को हमारा सादर प्रणाम ।शेष अगली आर्टिकल में और भी बात रखेंगे ।
आजकल एक गाना सुनने में आता है की #हां जी हम बिहारी हैं जी थोड़ी संस्कारी है जी .......................
#वसुधैव कुटुंबकम् के सिद्धांतों को छठ सैद्धांतिक और व्यवहारिक पहलुओं से जोड़कर अपनी विवेक और ज्ञान को ईश्वर के सानिध्य में जाने का संकेत देता है ।
छठी मैया की #अभिनंदन और #वंदन
#शेष आर्टिकल में और भी बात ....................
- अमरजीत झा
#अमरजीतझा
#टारगेट सिविल सर्विसेज
#छठ महापर्व
#प्रकृति पूजा
#प्रजावरणीय संरक्षण
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Amarjeet Jha, Patna, Bihar, India
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