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चलो चलते हैं एक नई राह बुनते है,
कितना वृहद है ये नभ,
हौसलों की नई उड़ान भरते हैं
हाथों से हाथ थामे चलना है
महिलाओं को आज
एक नया इतिहास रचना है
सफ़र बड़ा है कठिन मगर
सौहार्द से हमे चलना है।
बेड़ियों को तोड़कर बस आगे कदम बढ़ाना है
अपने साहस के दम पर जोधाणा को
एक नई पहचान दिलानी है
उतारो हमको तुम किसी भी क्षेत्र में
सर्वश्रेष्ठ करके दिखलाएंगे
हम आज की नारी हैं
सफलता का नया परचम हम लहराएंगे।
चलो चलते हैं
एक नई राह बुनते है।
� शुभलक्ष्मी अमित पुरोहित
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Jodhpur, RJ, India, Jodhpur, Rajasthan, India