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Babajipura | Vadodara

Ayurvedic Vitality - \u0906\u092f\u0941\u0930\u094d\u0935\u0948\u0926\u093f\u0915 \u091c\u0940\u0935\u0928\u0936\u0915\u094d\u0924\u093f
Publisher/HostAyurvedic Vitality - आयुर्वैदिक जीवनशक्ति
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#भूमिआंवला #फैटी_लीवर, कब्ज, अपच, गैस, एसिडिटी, पेट साफ न होने की आयुर्वेदिक औषधि
#भूमिआंवला के अदभुत फायदे ,यह लीवर के साथ शरीर में अनेक बीमारीयों के लिए लाभाकरी हे
भुई आंवला एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला से अनेक बीमारियों को ठीक किया जाता है।
भूमि आंवला लीवर की सूजन, सिरोसिस, फैटी लिवर, पीलिया में, हेपेटायटिस B और C में, किडनी क्रिएटिनिन बढ़ने पर, मधुमेह आदि में चमत्कारिक रूप से उपयोगी हैं।
यह पौधा लीवर व किडनी के रोगो में चमत्कारी लाभ करता है। यह बरसात मे अपने आप उग जाता है और छायादार नमी वाले स्थानों पर पूरा साल मिलता है। इसके पत्ते के नीचे छोटा सा फल लगता है जो देखने मे आंवले जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए इसे भुई आंवला कहते है। इसको भूमि आंवला या भू धात्री भी कहा जाता है। यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है। इसका सम्पूर्ण भाग, जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके गुण इसी से पता चल जाते हैं के कई बाज़ीगर भूमि आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं।
बरसात मे यह मिल जाए तो इसे उखाड़ कर रख ले व छाया में सूखा कर रख लें। ये जड़ी-बूटी की दुकान पंसारी आदि के पास से आसानी से मिल जाता है।
#साधारण_सेवन_मात्रा -
आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ दिन मे 2-4 बार तक। या पानी मे उबाल कर छान कर भी दे सकते हैं। इस पौधे का ताज़ा रस अधिक गुणकारी है।
लीवर की सूजन और पीलिया में फायदेमंद -
लीवर की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है। लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा। पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पौधे को जड़ों समेत उखाडकर, उसका काढ़ा सुबह शाम लें। सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी। पीलिया किसी भी कारण से हो चाहे पीलिया का रोगी मौत के मुंह मे हो यह देने से बहुत अधिक लाभ होता है। अन्य दवाइयो के साथ भी दे सकते (जैसे कुटकी/रोहितक/भृंगराज) अकेले भी दे सकते हैं। पीलिया में इसकी पत्तियों के पेस्ट को छाछ के साथ मिलाकर दिया जाता है।
वैकल्पिक रूप से इसके पेस्ट को बकरी के दूध के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। पीलिया के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर भी इसकी पत्तियों को सीधे खाया जाता है।
कभी नहीं होगी लीवर की समस्या -
अगर वर्ष में एक महीने भी इसका काढ़ा ले लिया जाए तो पूरे वर्ष लीवर की कोई समस्या ही नहीं होगी। LIVER CIRRHOSIS जिसमे यकृत मे घाव हो जाते हैं यकृत सिकुड़ जाता है उसमे भी बहुत लाभ करता है। Fatty LIVER जिसमे यकृत मे सूजन आ जाती है पर बहुत लाभ करता है।
हेपेटायटिस B और C में. Hepatitis b – hepatitis c
हेपेटायटिस B और C के लिए यह रामबाण है। भुई आंवला +श्योनाक +पुनर्नवा ; इन तीनो को मिलाकर इनका रस लें। ताज़ा न मिले तो इनके पंचांग का काढ़ा लेते रहने से यह बीमारी बिलकुल ठीक हो जाती है।
#डी_टॉक्सिफिकेशन -
इसमें शरीर के विजातीय तत्वों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है।
मुंह में छाले और मुंह पकने पर
मुंह में छाले हों तो इनके पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें। यह मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है और मुंह पकने पर भी लाभ करता है।
स्तन में सूजन या गाँठ।
स्तन में सूजन या गाँठ हो तो इसके पत्तों का पेस्ट लगा लें पूरा आराम होगा।
जलोदर या असाईटिस
जलोदर या असाईटिस में लीवर की कार्य प्रणाली को ठीक करने के लिए 5 ग्राम भुई आंवला +1/2 ग्राम कुटकी +1 ग्राम सौंठ का काढ़ा सवेरे शाम लें।
#खांसी
खांसी में इसके साथ तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर लें .
#किडनी
यह किडनी के इन्फेक्शन को भी खत्म करती है। इसका काढ़ा किडनी की सूजन भी खत्म करता है। SERUM CREATININE बढ़ गया हो, पेशाब मे इन्फेक्शन हो बहुत लाभ करेगा।
#स्त्री_रोगो_में -
प्रदर या प्रमेह की बीमारी भी इससे ठीक होती है। रक्त प्रदर की बीमारी होने पर इसके साथ दूब का रस मिलाकर 2-3 चम्मच प्रात: सायं लें। इसकी पत्तियाँ गर्भाधान को प्रोत्सहित करती है। इसकी जड़ो एवं बीजों का पेस्ट तैयार करके चांवल के पानी के साथ देने पर महिलाओ में रजोनिवृत्ति के समय लाभ मिलता है।
#पेट_में_दर्द -
पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें। पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा। ये पाचन प्रणाली को भी अच्छा करता है।
#शुगर_में -
शुगर की बीमारी में घाव न भरते हों तो इसका पेस्ट पीसकर लगा दें . इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शुगर की बीमारी भी ठीक होती है।
#पुराना_बुखार -
पुराना बुखार हो और भूख कम लगती हो तो , इसके साथ मुलेठी और गिलोय मिलाकर, काढ़ा बनाकर लें। इसका उपयोग घरेलू औषधीय के रूप में जैसे ऐपेटाइट, कब्ज. टाइफाइट, बुखार, ज्वर एवं सर्दी किया जाता है। मलेरिया के बुखार में इसके संपूर्ण पौधे का पेस्ट तैयार करके छाछ के साथ देने पर आराम मिलता है।
#आँतों_का_इन्फेक्शन -
आँतों का इन्फेक्शन होने पर या अल्सर होने पर इसके साथ दूब को भी जड़ सहित उखाडकर , ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें . रक्त स्त्राव 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगा .
अन्य उपयोग -
खुजली होने पर इसके पत्तों का रस मलने से लाभ होता है।
इसे मूत्र तथा जननांग विकारों के लिये उपयोग किया जाता है।
प्लीहा एवं यकृत विकार के लिये इसकी जडों के रस को चावल के पानी के साथ लिया जाता है।
इसे अम्लीयता, अल्सर, अपच, एवं दस्त में भी उपयोग किया जाता है।
इसे बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर देने से लाभ पहुँचाता है।
इसकी पत्तियाँ शीतल होती है।
इसकी जडों का पेस्ट बच्चों में नींद लाने हेतु किया जाता है।
इसकी पत्तियों का पेस्ट आंतरिक घावों सुजन एवं टूटी हड्डियो पर बाहरी रूप से लगाने में किया जाता है।
एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकइटिस, खांसी, पेचिश, सूजाक, हेपेटाइटिस, पिलिया एवं पेट में ट्यूमर होने की दशा में उपयोग किया जा सकता है।
#fattylever Everyone is Included-All People, All Places, All Ways
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