Advertisement
माननीय,
शिवमूर्ति की उपस्थिति हमारे साहित्य-संसार में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उनकी कृतियाँ विशेष रूप से भारतीय समाज के उस ग्रामीण हिस्से का क़रीब से साक्षात्कार कराती हैं जो बदलते समय में तरह-तरह से लुंठित, अवगुंठित और उपेक्षित होने के बावजूद आज भी देश की आत्मा का ठिकाना है। उत्तर भारतीय ग्रामीण समाज में मौजूद सामन्ती, पुरुषवादी, वर्णवादी, वर्गवादी और साम्प्रदायिक शक्तियाँ और उनके कुचक्र में पिसती, उसे जूझती निम्नवर्गीय और दलित लोगों की ज़िन्दगी को शिवमूर्ति विश्वसनीय तरीक़े से उकेरते हैं। उनकी रचनाओं में वर्णित स्त्रियों के जीवन संघर्ष ने अलग से ध्यान आकर्षित किया है। गाँव-गिराँव के प्रति शिवमूर्ति का यह लगाव भावुकता से प्रेरित क़तई नहीं है। उनकी आत्मीयता ग्रामीण लोगों से है लेकिन ग्रामीण तंत्र जिन विसंगतियों-विषमताओं से आज भी दबा हुआ है, उन पर वे निर्मम प्रहार करते हैं। इस तरह उनकी कृतियाँ यथार्थ का अंकन करने के साथ-साथ यथास्थिति के प्रतिपक्ष रचती चलती हैं। आश्चर्य नहीं कि उनकी कृतियाँ―’तिरिया चरित्तर’ हो, ‘कुच्ची का कानून’ हो या ‘अगम बहै दरियाव’ उल्लेखनीय उपलब्धि के रुप में मान्य है, और वे समकालीन हिन्दी कथा साहित्य के प्रतिनिधि हस्ताक्षर के रूप में समादृत हैं।
अपने इस अनूठे कथाकार के 75वें वर्ष में प्रवेश करने पर हम उनकी रचनात्मक यात्रा का उत्सव मना रहे हैं।
इस उत्सव में आपकी उपस्थिति से आयोजन की गरिमा बढ़ेगी।
• • •
उपलक्ष्य 75 : शिवमूर्ति के साथ एक ख़ुशनुमा शाम
लेखक से बातचीत
रविकांत • चन्दन पाण्डेय
अंश-पाठ
दिलीप गुप्ता • अन्नु प्रिया • गौरव कुमार
31 अक्टूबर, 2025 ; शुक्रवार
शाम 06:30 बजे
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स, लेक्चर रूम-2, मैक्समूलर मार्ग, नई दिल्ली-110003
Advertisement
Event Venue & Nearby Stays
IIC Annex, Delhi, India, New Delhi
Concerts, fests, parties, meetups - all the happenings, one place.











